भोपाल। दशकों बाद भी मध्यप्रदेश और गुजरात के बीच जारी सरदार सरोवर बांध के मुआवजे का मामला सुलझ नहीं पा रहा है। इसके लेकर अब तक दर्जनों बार दोनों ही राज्यों के अफसरों के बीच बैठकें हो चुकी हैं। अब इस मामले को प्रदेश की मोहन सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। यही वजह है कि पहले कई-कई माह बाद होने वाली बैठकों का दौर अब लगभग हर माह चल रहा है। सरकार इस मसले का जल्द से जल्द निदान चाहती है।
यही वजह है कि बीते दस माह में अब तक दोनों राज्यों के अफसरों के बीच सात बार बैठकें हो चुकी है, हालांकि इनमें भी अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। आखिरी बार बीते हफ्ते दो दिनों तक 16 और 17 जनवरी को नई दिल्ली में बैठक हुई है। प्रदेश सरकार इस मामले में गुजरात सरकार से मुआवजे के तौर पर 7600 करोड़ रुपए मांग रही है, जबकि गुजरात सरकार महज 300 करोड़ रुपए ही देना चाहती है। हालांकि इन बैठकों का नतीजा ही है कि अब गुजरात सरकार का रुख कुछ सकारात्मक हुआ है। मुआवजे को लेकर उन्होंने एक सप्ताह में जवाब देने की बात कही है। जानकारी के मुताबिक मप्र ने गुजरात सरकार से नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर में डूबी चार जिलों की सरकारी खदानों, राजस्व और वन भूमि के एवज में मांगा है। इसके लिए भोपाल में पहली बार आर्बिट्रेशन 21 और 22 मार्च को हुआ था।
इसके बाद इंदौर और फिर गुजरात व दिल्ली में 6 बार आर्बिट्रेशन हो चुका है। इस तरह मप्र और गुजरात के बीच मुआवजे के मुद्दे पर औसत हर डेढ़ महीने में आर्बिट्रेशन हो रहा है। हर आर्बिट्रेशन में मप्र सरकार के अधिकारी तथ्यों के आधार पर 7600 करोड़ का मुआवजा देने की बात रखते हैं, लेकिन गुजरात के अधिकारी इसके लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। नर्मदा घाटी विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध के लिए अधिग्रहित और डूब क्षेत्र की भूमि के मुआवजे को दो श्रेणियों में बांटा गया था। निजी भूमि, घरों और अन्य संरचनाओं के अधिग्रहण के लिए मुआवजे का भुगतान किया गया है, लेकिन मप्र के निमाड़ क्षेत्र में खदानों, राजस्व और वन भूमि के डूब क्षेत्र के लिए अभी तक कोई भुगतान नहीं किया गया है।
मप्र सरकार ने धार, बड़वानी, खरगोन व अलीराजपुर जिले के 178 गांवों में डूब क्षेत्र की खदानों, राजस्व और वन भूमि के मुआवजे के रूप में 7600 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए करीब साढ़े तीन साल पहले गुजरात सरकार से संपर्क किया था। मुआवजे की गणना 2019-20 में संपत्ति और भूमि कलेक्टर गाइडलाइन दरों पर की गई थी। अधिकारियों का कहना है कि उनका दावा मजबूत है। वे हर बार आर्बिट्रेशन में मजबूती से अपना पक्ष रख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि गुजरात सरकार की ओर से मप्र को पर्याप्त मुआवजा राशि दी जाएगी।