नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष में एक ऐसे मिशन की नींव रख रहा है, जो भविष्य की उड़ानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होंगे। यह है स्पेडेक्स मिशन। इस मिशन में इसरो सफल रहा तो हम भी अमेरिका, चीन, रुस की तरह ताकतवर बन जाएंगे। इस मिशन में दो छोटे अंतरिक्ष यान शामिल हैं, जिनमें हर एक का वजन करीब 220 किलो है। इन्हें रॉकेट पीएसएलवी-सी60 के जरिए लॉन्च किया गया है। इसरों ने 30 दिसंबर को श्रीहरिकोटा से स्पेडेक्स यानी स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट मिशन लॉन्च किया था। इसके तहत पीएसएलवी-सी60 रॉकेट से दो स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से 470 किमी ऊपर तैनात किए गए थे।
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के मुताबिक ये यान पृथ्वी से 470 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाएंगे। इनमें एक चेजर (एसडी गुणा 01) और दूसरा टारगेट (एसडी गुना02) नाम का उपग्रह है। इस मिशन का मकसद सफल डॉकिंग, डॉक किए गए अंतरिक्ष यानों में एनर्जी ट्रांसफर करना और अनडॉकिंग के बाद पेलोड का संचालन करना है। इसरो ने बीते रविवार को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट स्पेडेक्स का सफल ट्रायल किया। इसरो ने 2 स्पेस सैटेलाइट के बीच दूरी पहले 15 मीटर, फिर 3 मीटर तक रखी। इसके बाद दोनों सैटेलाइट को वापस सुरक्षित दूरी पर ले जाया गया। इसरो ने बताया कि डॉकिंग ट्रायल का डेटा एनालिसिस किया जा रहा है। इसके बाद आगे की प्रक्रिया की जाएगी। स्पेडेक्स मिशन की डॉकिग दो बार टल चुकी है। पहले 7 जनवरी फिर 9 जनवरी को डॉकिंग किया जाना था।