धार्मिक मान्यताओं में केले के पेड़ का बहुत अधिक महत्व माना गया है. बृहस्पतिवार (गुरुवार) के दिन केले के पेड़ की पूजा का विधान है, इस दिन जो लोग भगवान विष्णु के निमित्त व्रत पूजा करते हैं, वे लोग इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी करते हैं. इसके अलावा भी केले का पत्ते कई जगहों पर काम में लिये जाते हैं, खासकर मांगलिक कार्यों में क्योंकि केले के पत्ते बहुत ही शुभ व पवित्र माने जाते हैं. वहीं कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि जब केले का पेड़ इतना पवित्र होता है तो फिर इसे घर में क्यों नहीं लगाया जाता. ऐसे में जानते हैं
क्या कहती है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीविष्णु और मां लक्ष्मी का विवाह हो रहा था तब वहां मौजूद देवताओं ने धन की देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी (दरिद्रता) का मजाक बनाया और इसी बात से दरिद्रता को बहुत दुख पहुंचा और जब परेशान दरिद्रता भगवान श्रीहरि के पास पहुंची तो उन्होंने दरिद्रता को अपनी शरण में ले लिया, क्योंकि भगवान तो सबको अपनी शरण में ले लेते हैं. उनके लिए सब समान होते हैं. इसके बाद दरिद्रता को विष्णु जी ने वरदान दिया कि आज के बाद से दरिद्रता का वास केले के पेड़ में रहेगा. साथ ही जो व्यक्ति केले के पेड़ की पूजा सच्चे मन से पूजा करेगा उसे मेरी कृपा अवश्य मिलेगी.
यही कारण है कि केले का पेड़ घर के अंदर रखने से स्वतः ही दरिद्रता प्रवेश कर लेती है. और जाने अनजाने परेशानियां एक के बाद एक घर में आने लगती है. इसलिए केले के पेड़ को घर में रखने की मनाही होती है.
शास्त्रों में भी मिलता है वर्णन
शास्त्रों में भी इस बात का वर्णन मिलता है कि अगर कोई अपने घर में केले का पेड़ लगाता है तो उसका धन व्यर्थ की चीजों में खर्च होने लगता है. यही कारण है कि वास्तुशास्त्र में भी कहा जाता है कि केले के पेड़ के नीचे बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए.
मांगलिक कार्यक्रमों में केले का पेड़ लगाना शुभ
घर में भले ही केले का पेड़ लगाना अशुभ माना जाता है, लेकिन मांगलिक व धार्मिक अनुष्ठानों में केले के पेड़ को लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए वास्तु में भी इस चीज की सलाह दी जाती है कि अगर कोई व्यक्ति केले के पेड़ को लगाना चाहता है तो उसे घर में नहीं बल्कि खुली जगह में लगाएं.
बेहद गुणकारी होता है केले का पेड़
केले का पेड़ बहुत ही गुणकारी माना जाता है. इसके पत्तों पर भोजन करने से व्यक्ति को किसी तरह की बीमारी नहीं होती और शरीर रोग और कष्ट मुक्त रहता है. बता दें कि कई मंदिरों और खाने के भंडारे में आज भी केले के पत्ते को इस्तेमाल किया जाता है.